Saturday, 5 March 2016

समंदर यह तेरी खामौशियां कुछ और कहती ह

समंदर यह तेरी खामौशियां कुछ और कहती हे
मगर साहिल पे टूटी कश्तियां कुछ और कहती हे

हमारे शहर की आंखो ने मन्जर और देखा था
मगर अखबार की यह सुर्खियां कुछ और कहती हे

हम अहले शहर की ख्वाहिश कि मिल जुल कर रहे लेकिन

अमीर ऐ शहर की दिलचस्पियां कुछ और कहती हे

जे एन यू दिल्ही

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