Friday, 11 March 2016

दुआ़ क़बूल क्यूं नही होती

दुआ़ क़बूल क्यूं नही होती
ह़ज़रत शफ़ीक़ बल्ख़ी रह़मतुल्लाह तआ़ला अ़लैहे से
रिवायत हैं:
एक बार ह़ज़रत इब्राहीम अदहम रह़मतुल्लाह तआ़ला
अ़लैहे बसरा के बाज़ार में जा रहे थे, लोग उन्हे देखकर
जमा हो गए और कहा: "ऐं अबू इस्ह़ाक, अल्लाह
तआ़ला कुरआने मजीद में फ़रमाता हैं 'मुझ से मांगो मैं
क़बूल करूंगा'! हम बरसों से दुआ़ कर रहे है मगर क़बूल नही
होती"!
ह़ज़रत ने जवाब दिया:
ऐं बसरा वालों, दस चीज़ों की वजह से तुम्हारे
दिल मुर्दा हो गए हैं फिर किस त़रह़ दुआ़ क़बूल हो!
1- तुमने खुदा को पहचाना मगर उसके ह़क़ अदा न
किए!
2- कुरआन पढ़ा मगर उस पर अ़मल नही किया!
3- शैत़ान से दुश्मनी का दावा किया मगर उसके
फ़रमांबरदार रहे!
4- उम्मते मुह़म्मदीया में होने का दावा करते हो मगर
सुन्नत पर अ़मल नही करते!
5- जन्नत में दाख़िल होने के दावेदार हो मगर अ़मल
कुछ भी नही!
6- दोज़ख से नजात मिलने का दावा करते हो और
खुद उसमें गिरे जाते हो!
7- मौत को बरह़क़ मानते हो लेकिन उसके लिए
तय्यारी नही करते!
8- अपने मुसलमान भाईयों के ऐ़ब तलाश करने में लगे
रहते हो!
9- खुदा की दी हुई नेमतों के मज़े उड़ाते हो लेकिन
उसका शुक्र अदा नही करते!
10- तुमने अपने हाथों से सैकड़ों मुर्दे दफ़्न किए मगर
तुम्हे ज़रा भी इ़ब्रत नही हुई!
(तफ़्सीरे नई़मी)
✒प्यारे इस्लामी भाईयों और इस्लामी बहनों, आज
हमारा ह़ाल भी कुछ ऐसा ही हैं कि अ़मल तो कुछ
भी नही होता मगर दुआ़ क़बूल न होने की शिकायत
सबसे पहले ज़बान पर आती हैं!
अल्लाह तआ़ला हम सबको इन बातों पर अ़मल करने
की त़ौफ़ीक़ अ़त़ा करे!
आमीन

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