Wednesday, 9 March 2016

**** बहुत सुंदर पंक्तियाँ ***

***** बहुत सुंदर पंक्तियाँ *****

"रहता हूं किराये की काया में,
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूँ।

मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी,
बातें मैं महल मिनारों की कर जाता हूँ।

जल जायेगी ये मेरी काया एक दिन,
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूँ।

मुझे पता हे मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाता हूँ!"

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