Friday, 11 March 2016

नियाज़ देना फातिहा देना दरगाह पे जाना , कहा लिखा है !

नियाज़ देना
फातिहा देना
दरगाह पे जाना ,
कहा लिखा है !
जवाब - 1/2 ) नियाज़ और फातिहा , खाने की चीज़ सामने रखकर कुछ आयत और दरूद पढ़ कर दुआ करने को उर्फ़ में नियाज़ या फातिहा कहते है  खाने की चीज़ सामने रखकर हुज़ूर नबी ए पाक ने भी दुआ फ़रमाई !
हवाला - ( मुस्लिम शरीफ जिल्द 1 सफा न. 41 ,42 )
अब दलील भी देखो - हजरत अबु हुरैरा से रिवायत है के जंग ए ताबूक के मौके पर खाने का सामान ख़त्म हो गया ! और सहाबा ए किराम भूक से बेहाल होने लगे तो उन्होंने नबी ए पाक से अर्ज़ किया ,
या रसूल अल्लाह अगर आप इज़ाज़त अता करे तो हम ऊँट ज़िबह कर के खाले ! आप ने फ़रमाया ऐसा कर लो , हजरत उमर ने आकर अर्ज किया की या रसूल अल्लाह अगर भूक के वक़्त ऊँट ज़िब्ह कर के खाते रहे तो सवारी कम हो जाएँगी ? आप सहाबा को हुक्म दे की उनके पास खाने का जो सामान बचा हो लाये फिर उस पर आप हमारे लिए बरकत की दुआ करदे ? यक़ीनन अल्लाह उसमे बरकत अता करेगा !
नबी ए पाक ने दस्तरखान बिछाया फिर ज़ाद ए सफ़र का बचा हुआ लाने का हुक्म दिया। जिस के पास जो था लाकर उसपर जमा कर दिया , सब के लाने के बाद भी थोडा सा ही इकट्टा हुआ ! उस जमा शुदा खाने पर हुज़ूर ने बरकत की दुआ की फिर आप ने फ़रमाया इस को अपने बर्तनों में भर लो ! रावी का बयांन है के लश्कर का कोई बर्तन खली न बचा , बल के तमाम बर्तन भर गए और इतनी बरकत हुई की दस्तरख्वान पर फिर भी बच गया गौर करे के अगर खाना सामने रख कर पढ़ना गलत होता तो सरकार हरगिज़ हरगिज़ खाने पर दुआ ना पढ़ते !
दिखा सकते !
जवाब 3 ) हदीस की तमाम किताबो में है की हजरत आयेशा रज़ि अल्लाह अन्हा फरमाती है क अल्लाह के रसूल रात के आखिरी हिस्से में जन्नत उल बकि तशरीफ़ ले जाते थे ! और अहले बक़ी को सलाम कर के दुआ ए मगफिरत फरमाते थे ! दरगाह या मज़ार भी कबर ही को कहते है अगर दरगाह या मज़ार पर जाना गलत या गुनाह होता तो क्या सरकार कबरस्तान जाते ? या जाने का हुक्म देते ? हदीस की तमाम किताबो में है की हुज़ूर ने फ़रमाया के पहले मैंने ज़ियारत ए क़ुबूर से मना किया था अब कब्रो की ज़ियारत करो ! हुज़ूर के अमल ओ हुक्म से साबित है के दरगाह पे जाना नाजायज़ नहीं है !
और मज़े की बात ये है के वहाबियों के मौलवी वाहिदुज़्ज़मान ने
(हवाला - नजूल उल अबरार जिल्द 1 सफा न. 179 )
पर लिखा है के सुवालेहीन और औलिया की दरगाह पर जाने में कोई हर्ज़ नहीं ! फिर वहाबी , देवबन्दी किस बुनियाद पर सुन्नियो को कबर पूजक या मज़ार पूजक का लेबल लगाते हो ? अल्लाह ऐसे गुस्ताख़ फिरको से सुन्नी भाइयो की हिफाज़त फरमाये , आमीन ! दुआ की गुजारिश आप का भाई

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